A daughter’s khatna, a father’s regret: A poem in Hindi

by Abbas Ali Bohari This is a heartfelt poem about a Bohra father’s greatest regret. The poet, who hails from Indore, India, spent years praying for the birth of a child and was finally blessed with a daughter. A few years later, he found out that she had been subjected to khatna, or female genital cutting, behind his back. This is a poem about his grief for her, his regret, and his plea to the world to end the cutting of girls in the name of religion. एक पिता का अफ़सोस कई बरसों रहे दोनों बेकरार रहमान ने लगाया बेड़ा पार बुजुर्गों की दुआओं का भी असर गुड़िया रानी आयी हमारे घर रौशन कर दिया हमारा संसार लायी खुशियों की सौगात अपार अब ना करू किसी की दरकार मालिक बस तेरा ही शुक्रगुज़ार हँसते हँसाते गए बरस गुजर एक दिन ऐसा आया खूंखार मज़हब के नाम पर मचाया अंधेर मासूम के जिस्म को किया दागदार कसम ख़ुदा की मैं नही ख़तावार पीठ पीछे किया सारा अत्याचार कही नही मिली दींन में तफ़सीर हैरां हूं कब से शुरू हुआ ये फ़ितूर शरीयत का अंग बताते ज़ाहील ज़ोकर पर मुख़ालिफ़त करते इल्मी ज़ानकार मगरिबी तहज़ीब करे इंकार मशरीकी कौमे बैठी लाचार खत्म करो नाजायज़ विचार सज़ा पाये सारे जो है हक़दार *अब्बास* करे अफ़सोस बारबार बचा ना पाया अपना लख्तेज़िगर
डियर मासी: खतना के खिलाफ बोलने से क्या निजी ज़िन्दगी पे असर हो सकता है?

डियर मासी एक ऐसा कॉलम है, जिसमें सेक्स और रिश्तों के बारे में वह सब कुछ बताया गया है जो आप जानना तो चाहते हैं, लेकिन पूछने से डरते हैं! यह सहियो और वी स्पीक आउट इन दो संगठनों ने मिलकर बनाया है। यह कॉलम उन लोगों के लिए है जिन्हें महिला जननांग काटने या खतना के बारे में सवाल है। यह कॉलम ख़तना कैसे हमारे शरीर, दिल, दिमाग, लैंगिकता और रिश्तों पर असर करता है इसके बारे में भी बात करता हैं। बोहरा समाज के सन्दर्भ में, माँ की बहन मासी हैं। आपके सवालों का हम स्वागत करते हैं। अपने सवाल बेझिझक यहाँ पर भेजिए। अपनी पेहचान गुप्त भी रख सक्ते हैं| प्यारी मासी, अगर आप महिला जननांग विकृति (एफ.जी.एम./सी.) पर बोलने वाली एक जानीमानी हस्ती है तब इतने गहरे व्यक्तिगत मुद्दे से जुड़ी हुई आपकी पहचान के साथ आप कैसे प्रबंधित करते हैं? यह खास कर ऑनलाइन डेटिंग की दुनिया में मुश्किल है। — गुमनाम प्यारी गुमनाम, यह एक बहुत ही बढ़िया सवाल है। जो सरवाईवर्स अवामी दायरे में “बाहर” आए हैं उन्हें इन हालात से जूझना पड़ा है। अवामी दायरे में आकर खुलकर बात करना या नहीं करना यह हरेक का निजी फैसला होता है। सभी को उनके लिए जो फ़ैसला थीक लगे वही करना चाहीए| हम एफ.जी.एम./सी. सरवाईवर्स के बारे में लोग बहुत सी बातें मान कर चलते हैं, है ना? यह इतना बदनाम मसला है कि लोग यह नहीं समझते कि हम एक जैसे नहीं हैं। हमारी याददाश्त अलग हैं। हमारे लक्षण अलग-अलग हैं। हमारे यौन कार्य अलग-अलग हैं। हमारे घरवालों और बिरादरियों के साथ हमारी अलग-अलग मजहबी मान्यताएं और संबंध हैं। दूसरे शब्दों में, आप किसी एफ.जी.एम./सी. सरवाईवर के बारे में कुछ भी मान कर नहीं चल सकते। और फिर भी लोग ऐसा करते हैं। ये धारणाएं शर्मिंदगी पैदा करती हैं और पूरी तरह से गलत हो सकती हैं। असली सदमे के वक्त हम में से बहुत सी लड़कियों को बताया गया कि, “यह कुछ भी नहीं है; रोना मत,” और “यह एक राज है; किसी को बताना मत।” इसलिए, एफ.जी.एम./सी. कैसे नुकसानदेह है, इस बारे में आवामी तौर पर बात करना गलत या शर्मनाक महसूस हो सकता है। तब हम बच्चे थे और हम शायद यह नहीं समझ सके कि हमारे जिस्म के साथ क्या हो रहा है। किसी सदमे से मुकाबला करने के लिए बच्चे भरोसेमंद बड़े-बूढों के बजाय खुद को कसूरवार ठहराते हैं। यह हमारा कसूर है, यह सोच शर्मिंदगी पैदा करती है। तो यहीं कहना है कि एफ.जी.एम./सी. हमें बहुत शर्मसार कर सकता है। इस पर थोड़ी देर बाद बात करेंगे। मैं 2015 से एक कार्यकर्ता हूँ, लेकिन मैं खुलकर सबके सामने आने को लेकर बहुत डरी हुई थी। अपने सरवाईवर अनुभवों पर खुलकर चर्चा कर सकने वाली अपनी कार्यकर्ता बहनों की तारीफ और हसरत करती थी। जबकि वे सबसे बेहतरीन रोल मॉडल और मददगार थे, मैं उनके मिसालों पर अमल नहीं कर सकी। जब भी मैंने ऐसी कोशिश की, तो मैं खुद से जुदा, थकी हुई और बीमार महसूस करती। मैं समझ गयी कि मेरा जिस्म मुझे एक बड़ा “नहीं” का इशारा दे रहा है। मैं तैयार नहीं थी। समस्या यह थी कि मैं अपने बिरादरी में एफ.जी.एम./सी. के बारे में एक उपन्यास ख़त्म कर रही थी और मैं जानती थी कि मुझसे साहित्य-फेस्टिवल्स और मीडिया इंटरव्यू में उपन्यास के मुद्दों से मेरे व्यक्तिगत संबंध के बारे में पूछा जाएगा। मैंने डर तो महसूस किया, लेकिन उसके बावजूद, मुझे पता था कि मुझे अपनी परेशानियों से गुजरना है और तैयार होना है। लेकिन यह कोई आसान प्रक्रिया नहीं थी। मैंने वापस थेरेपी शुरू किया। मैंने मॉक इंटरव्यू किए जहाँ दोस्त-सहेलियों ने सबसे ज्यादा दखलअंदाजी करने वाले सवाल पूछे और मुझे अपनी हदें तय करनी थीं और जवाब कैसे देना है इस बात का फैसला करना था। सरवाईवर होने का मतलब क्या है इसके लिए मुझे अपने खुद के विश्वासों और रूढ़ियों को चुनौती देनी पड़ी। मैंने ‘सेवेन थिंग्स नॉट टू आस्क ए ख़तना सर्वाइवर’, खुद के लिए और अपने दोस्तों और पाठकों – दोनों के लिए लिखा। फिर भी मैं नर्वस थी। और फिर मेरे किताबी सफ़र की शुरुआत में कुछ अनपेक्षित हुआ। मुझे डर नहीं लगा। मेरा जिस्म अवामी तौर पर खुलकर बोलने के लिए हाँ कहने लगा। मैंने अपने रास्ते में आने वाले सवालों को अवसरों के रूप में देखा, दखलंदाजी के रूप में नहीं। मैंने तीन महीने पहले इसके बारे में बात करना शुरू किया था, तब से मैंने बात करना छोड़ा नहीं हैं। और मैं ठीक हूँ। सबसे अच्छी बात यह है कि मैंने शर्मिंदगी से आज़ाद महसूस किया है। मैं यह कहना चाहती हूँ कि लोग मेरे बारे में कल्पनाएँ करते रहेंगे। और शायद जिंदगी भर के लिए खतना/एफ.जी.एम./सी. को मेरी पहचान के साथ जोड़ेंगे। लेकिन मुझे इसके बारे में कोई शर्म नहीं है, इसलिए मुझे अब परवाह भी नहीं है। मुझे लगता है कि हमारे किसी भी हाशिए की पहचान या अनुभव के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है। जब हम किसी खास नस्ल वाले या औरत या मुस्लिम या मोटा या गरीब या विकलांग या भिन्न लैगिकता वाले या उम्र दराज या डिप्रेस या हमेशा बीमार रहने की अपनी आंतरिक शर्म को लेकर आगे आते है और उससे दो-चार होते हैं, तो हम खुद को आजाद कर देते हैं। शर्मिंदगी से आजादी की ओर बढ़ने के रास्ते हम में से हरेक के लिए अलग-अलग नजर आएँगे। इस ओर आगे बढ़ने का पहला कदम होगा कि आप जो शर्मिंदगी महसूस करते हैं, उसे मान लेना। आप खुद से यहाँ निचे दिए गए कुछ सवाल पूछिए (और ऐसा करते समय, अपने जस्बातों और अपने जिस्म के प्रतिभाव पर ध्यान दें): -एफ.जी.एम./सी. सरवाईवर्स के बारे में कौन से मिथक या धारणाएँ मौजूद हैं? उनकी लिस्ट बनाएँ। मैं, थोड़ा-सा भी क्यों न हो, कौनसे धारणाओं पर यकीन करती हूँ? -क्या मेरे गुप्तांगों को काटना शर्मनाक है? क्या मेरे गुप्तांग शर्मनाक हैं? किन मायनों में? -अगर कोई पड़ोसी या साथीदार या अजनबी जानते है कि मैं सरवाईवर हूँ तो मुझे कैसा महसूस होता है? अब हम ऑनलाइन डेटिंग पर आते है। किसी संभवित डेट के बारे में मालूमात करने के लिए उन्हें गुगल सर्च
डियर मासी: एक ट्रॉमा थेरेपिस्ट से बात करना क्यों ज़रूरी है

डियर मासी एक ऐसा कॉलम है, जिसमें सेक्स और रिश्तों के बारे में वह सब कुछ बताया गया है जो आप जानना तो चाहते हैं, लेकिन पूछने से डरते हैं! यह सहियो और वी स्पीक आउट इन दो संगठनों ने मिलकर बनाया है। यह कॉलम उन लोगों के लिए है जिन्हें महिला जननांग काटने या खतना के बारे में सवाल है। यह कॉलम ख़तना कैसे हमारे शरीर, दिल, दिमाग, लैंगिकता और रिश्तों पर असर करता है इसके बारे में भी बात करता हैं। बोहरा समाज के सन्दर्भ में, माँ की बहन मासी हैं। आपके सवालों का हम स्वागत करते हैं। अपने सवाल बेझिझक यहाँ पर भेजिए। अपनी पेहचान गुप्त भी रख सक्ते हैं| प्यारी मासी, मैं 26 साल की हूँ और मेरी जिंदगी में तीन गहरे रिश्ते रहे हैं (दो लड़के और हाल ही में एक औरत के साथ)। मुझे आत्मीयता पसंद है, लेकिन पेनीट्रेशन (किसी भी चीज के साथ) से अक्सर दर्द होता है। मैंने कभी-कभी सेक्स से पूरी तरह परहेज किया है और इससे मेरे रिश्तों में तनाव पैदा हुआ है। जब मैंने एक डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने कहा था कि सब कुछ सामान्य है। लेकिन सच कहूँ तो मैं वाकई असामान्य महसूस करती हूँ। मेरा खतना हुआ था और मैं सोच रही हूँ कि क्या इसका मुझ पर कोई असर पड़ा है। लेकिन मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्योंकि उन्होंने मेरे भगशेफ छत्र (क्लिटोरल हुड) को काट दिया- उन्होंने मेरी योनि को नुकसान नहीं पहुँचाया, है ना? —डरी हुई फ़ातेमा प्यारी फ़ातेमा, सबसे पहले – मैं चाहती हूँ आप यह जान लें कि आप जिस बारे में बात कर रहीं हैं वह कोई गैर-मामूली चीज नहीं है बल्कि एक मामूली-सी बात है। पेनीट्रेटिव सेक्स से दर्द होने के बहुत से कारण है। हार्मोन के कारण सूखापन, योनि में संक्रमण, चोट, और श्रोणी सूजन की बीमारी, फाइब्रॉइड्स या एंडोमेट्रियोसिस जैसे हालात की वजहों से यह हो सकता है। दर्द के अन्य सामान्य कारण हैं – योनि का जकडन (पेनीट्रेशन पर योनि या श्रोणि तल की मांसपेशियों में ऐंठन या जकड़न होना) या वेस्टिबुलर वल्वाइटिस (योनि छेद के आसपास की नसों के आसपास सूजन)। इन्हें सदमे से जोड़ा जा सकता है। इस पर थोड़ा आगे और बात करेंगे। मेरा सुझाव है कि आप दूसरे डॉक्टर से भी राय लें। बहुत सारे डॉक्टर लैंगिकता के बारे में बात करने से झिझकते हैं, और ठीक से जांच नहीं करते है। किसी ऐसे डॉक्टर की तलाश करें जिन्हें यौन मुश्किलात पे काम करने का तजुर्बा हो। इस मुद्दे को गहराई से समझने के लिए आप बॉडी पॉडकास्ट के एपिसोड वन को सुनने की मैं सिफ़ारिश करती हूँ। जहाँ तक खतना और आपके दर्द के बारे में आपका सवाल है, तो खतना में योनि नहीं काटी जाती बल्कि भगशेफ छत्र (क्लिटरिअल हुड) और कभी-कभी भगशेफ (क्लिटरिस) को भी काटा जाता है। फिर भी, शोध से पता चला है कि यह काटने से लैंगिकता पर असर हो सकता है: 2017 में किए गए सहियो सर्वे में, 35% जवाबदाताओं ने बताया कि खतना से उनके यौन जीवन पर असर हुआ था और उनमें से 87% ने महसूस किया कि यह असर बुरा था। 2018 के वी स्पीक आउट स्टडी में, तक़रीबन 33% जवाबदाताओं ने ऐसा ही कहा। मैं उनके कुछ हवालों को पढ़ने की सिफ़ारिश करती हूँ जो दर्द, ट्रिगर और सदमे को बयां करते हैं (पन्ने- 47 से 60 तक)। पढ़ने पर यह आपके अनुभव जैसे लग सकते है। सदमा तकलीफ़देह घटना का नतीजा होता है। यह किसी बात का डटकर मुकाबला करने और तजुर्बे को समझने की हमारी क़ाबलियत पर असर डालता है। ज्यादातर सरवाईवर्स खतना को एक परेशान करने वाला, पेचीदा और दर्दनाक तजुर्बा बताते हैं। इसमें कभी-कभी इनकार, गैसलाइटिंग जैसी मनोवैज्ञानिक जोड़तोड़ या बड़े-बूढ़े, भरोसेमंद रिश्तेदारों का झूठ भी शामिल होता है। मैं कहूँगी कि खतना एक सदमा ही होता है और वह उसकी व्याख्या में बैठता है। हमारा दिमाग और जिस्म सदमे को इस तरह से पकड़कर रख सकते हैं जो कभी-कभी परोक्ष या पेचीदा लगता है। मेरा मतलब समझने के लिए इस कॉमिक पर एक नज़र डालें। अब मेरी समझ में आता है कि खतना से हमारे बाहरी गुप्तांग (वल्वा) और योनि में तनाव हो सकता है। खतना ने आप पर इस तरह से असर किया है या नहीं यह समझने के लिए किसी ऐसे थेरेपिस्ट से बात करें जो सदमे पे स्पेशलिस्ट हो । फ़ातेमा, आप यह जानें कि इससे वापिस सेहतमंद और ठीक होना मुमकिन है। आपको ख़ुशी से भरपूर यौन जिंदगी का हक़ है! —मासी मासी उर्फ फ़रज़ाना डॉक्टर के बारे में फ़रज़ाना एक उपन्यास लेखिका हैं और मनोचिकित्सक की प्राइवेट प्रैक्टिस करती हैं। वह WeSpeakOut और End FGM/C कनाडा नेटवर्क की संस्थापक सदस्य हैं। वह रिश्तों और लैंगिकता के बारे में बात करना पसंद करती है! www.farzanadoctor.com पर उनके बारे में और मालूमात करें। दाऊदी बोहरा समुदाय के बारे में औरतों के रिश्तों, लैंगिकता, बेवफाई और खतना पर चर्चा करने वाला उनका नया नावेल, सेवन ऑर्डर करें। अस्वीकरण: फ़रज़ाना अच्छी सलाह जरुर देती है, लेकिन यह कॉलम हर किसी के निजी सवालों पर बात नहीं करता है और इसे पेशेवर चिकित्सा या मनोवैज्ञानिक देखभाल के विकल्प के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। Read the Gujarati translation here, and the English translation here.
Dear मासी: खतना से पीड़ित महिलाओं के लिए सेक्स और रिश्तों पर एक नया कॉलम

પ્રિય માસી એ એક કોલમ છે, જે સેક્સ અને સંબંધ વિષેની એવી બધી બાબતો પર ભાર મૂકે છે, જેને પૂછવામાં તમને ડર લાગતો હોય! આ કોલમ સહિયો અને WeSpeakOut વચ્ચેની એક ભાગીદારી છે. તે આપણા બધા માટે છે, જેમને ફીમેલ જેનિટલ કટિંગ (એફ.જી.સી.) અથવા ખતના અને તેની આપણા શરીર, મન, સેક્સ્યુઆલિટી અને સંબંધો પર કેવી અસર પડે છે તે વિષે પ્રશ્નો હોય. બોહરીઓમાં, માસી એટલે તમારી મમ્મીની બહેન. અમે તમને અહિયાં તમારા પ્રશ્નો મોકલવા માટે આવકારીયે છીએ. જો તમને કોઇ સંકોચ થાય તો, મહેરબાની કરીને ઉપનામનો ઉપયોગ કરી શકો છો (તમારું સાચું નામ વાપર્યા વિના). प्यारी मासी, मैं चालीस साल की तलाकशुदा औरत हूँ। हाल ही में मेरी मुलाकात एक अच्छे, गैर-बोहरा आदमी से हुई है और हम करीब आ गए हैं। क्या मुझे उसे खतना के साथ अपना अनुभव बताना चाहिए? मैं उससे बातचीत कैसे शुरू करूँ? क्या वह पुराना सदमा छेड़ना ज़रूरी है? —तलाकशुदा दुरिया प्यारी तलाकशुदा दुरिया, आपका नया रिश्ता आपको मुबारक हो! आपने ऐक समजदार सवाल उठाया हैं। इस बारे में मैं यह कहूँगी कि निजी जानकारी शेयर करना हमेशा आपकी इच्छा और मर्ज़ी के अनुसार करना चाहिए। चलिए, इसके कुछ फायदे-नुक्सान पर ध्यान देते है। पहले लाभों के बारे में बात करते है: लाभ # 1: अपनी राज़ को शेयर करने से प्यार और विश्वास पैदा हो सकता है। सदमा अक्सर गुप्तता, शर्म और एकलता में होता है। इसलिए किसी अजीज़ के साथ बात करना सेहतमंद हो सकता है। यह ख़ामोशी को तोड़ने के साथ-साथ आपका अकेलापन भी कम करता है।लाभ # 2: जब हमारे अपने यह समझने लगेंगे कि सदमा कैसे हमें जज़्बाती, जिस्मानी या यौन रूप से तकलीफ़ देता है, तो वे हमारे इलाज में बेहतर साथी हो सकते हैं। मिसाल के तौर पर, कभी-कभी किसी के छूने से मैं जम जाती हूँ। मेरे साथी को यह पता है। वह खतना के बारे में जानता है और इसलिए रुककर फिर से स्थिर होने में मेरी मदद करता है। गौर कीजिये कि कौनसी बातें आपके सदमे को छेड़ सकती है, और फिर अपने प्रियजनों को समझाए कि वे आपको कैसे सहारा दे सकते हैं । सावधान: अपने दर्शकों को जानें। चलिए अब संभावित खामियों की बात करते है: खामी # 1: यदि आपके प्रियजन उतने हमदर्द नहीं हैं और/या यह नहीं समझते हैं कि खतना तकलीफ़देह हो सकता है, तो वे अनजाने में आपके एहसासों को नजरंदाज कर सकते है या नकार सकते हैं। यदि आप इसके लिए तैयार नहीं हैं तो यह दुबारा तकलीफ़देह महसूस करा सकता है। अपनी कहानी शेयर करने से पहले जानकारी शेयर करके आप इसे कम कर सकते है। इसके लिए मैंने यह ब्लॉग पोस्ट लिखा है। अधिक उपयोगी लेखों और वीडियो के लिए सहियो ब्लॉग और वी स्पीक आउट वेबसाईट देखें। खामी # 2: अपना सदमा शेयर करना, फिर चाहें वह अपनों से ही क्यों न हो, हमें महरूम महसूस करा सकता है। अगर आपको लगता है कि आपके साथ ऐसा हो सकता है, तो अच्छा दोस्त या सलाहकार जैसे किसी मददगार के संपर्क में रहें। आपको जो बताना है, उसे खुद ही दुहराए और देखें की आपके मन में क्या एहसासात पैदा होते है। बातचीत कैसे शुरू करें: खतना के बारे में बात करने के कई तरीके हैं। यहाँ एक मार्गदर्शिका है। आप पर लागू न होनेवाले स्टेप्स को छोड़ दें और अपने अंदाज में फेरफार करें। 1. प्रस्तावना: मैं आपके साथ कुछ शेयर करना चाहती हूँ। यह बात बहुत ही पर्सनल और संवेदनशील चीज है। आप मेरे अजीज़ हैं और आप मेरे लिए अहम हैं इसलिए मैं आपको यह बात बता रही हूँ। मैं बस इतना चाहती हूँ कि आप मेरी बात सुनें और बाद में मैं आपके किसी भी सवाल का जवाब दूंगी। क्या अभी बात कर सकते है? 2. उन्हें इस प्रथा के बारे में कुछ कुछ सामान्य मालूमात दें, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं: मेरे समुदाय में गुप्तांग काटने की एक प्रथा है। उसे खतना कहते है। यह मेरे साथ तब हुआ जब मैं बच्ची थी। इस विषय पर चुपके-चुपके बहुत कम बात होती है और इसे तकलीफ़देह समझा जाता है। 3. उन्हें खतना का आप पर पर्सनल असर बताएँ (यह हिस्सा अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग हो सकता है, इसलिए निचे सिर्फ एक मिसाल दी गयी है):वैसे तो मैं ठीक हूँ, लेकिन कभी-कभी इसके बारे में सोचकर मैं परेशान हो जाती हूँ, और हर बार, कुछ यौन स्थितियों में, मैं बहुत तनावपूर्ण हो जाती हूँ। 4. उन्हें बताएँ कि आपको उनसे क्या जरुरत है (बातचीत का यह हिस्सा भी बहुत अलग हो सकता है): आपको अभी मुझसे कुछ भी कहने की या मेरे लिए अभी कुछ करने की जरुरत नहीं है। मैं इसे आपके साथ इसलिए शेयर करना चाहती थी क्योंकि यह मेरे जीवन के तजुर्बे का एक हिस्सा है। और आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि मैं कुछ खास तरीकों से क्यों बर्ताव करती हूँ। 5. उन्हें कुछ साहित्य देने की पेशकश करें ताकि वे और ज्यादा मालूमात हासिल कर सकें:आपके सवालों का जबाब देने में मुझे ख़ुशी ही होगी। अगर आप चाहें तो मैं आपको कुछ लेख और वीडियो भी बता सकती हूँ। खैर, तलाकशुदा दुरिया, मुझे वाकई उम्मीद है कि आपका नया प्रेमी समझ जायेगा! अगर आप उन्हें बताने का फैसला करती हैं, तो हो सकता है कि यह आपके लिए इलाज का काम करें। – प्यारी मासी मासी उर्फ फ़रज़ाना डॉक्टर के बारे में फ़रज़ाना एक उपन्यास लेखिका हैं और मनोचिकित्सक की प्राइवेट प्रैक्टिस करती हैं। वह WeSpeakOut और End FGM/C कनाडा नेटवर्क की संस्थापक सदस्य हैं। वह रिश्तों और लैंगिकता के बारे में बात करना पसंद करती है! www.farzanadoctor.com पर उनके बारे में और मालूमात करें। दाऊदी बोहरा समुदाय के बारे में औरतों के रिश्तों, लैंगिकता, बेवफाई और खतना पर चर्चा करने वाला उनका नया नावेल, सेवन ऑर्डर करें। अस्वीकरण: फ़रज़ाना अच्छी सलाह जरुर देती है, लेकिन यह कॉलम हर किसी के निजी सवालों पर बात नहीं करता है और इसे पेशेवर चिकित्सा या मनोवैज्ञानिक देखभाल के विकल्प के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। Read the Gujarati version here, and the English version here.
मैं किसके साथ सोती हूँ यह फैसला मेरा दिमाग करता है, मेरा ‘क्लिटोरिस’ नहीं

(This post was originally published in English on March 22, 2017. You can read the English version here.) लेखक: सबाहत जहाँ उम्र: 24देश: भारत मैं एक कैफे में बैठकर सोच रही हूँ, क्या मैं अपनी बेटी के साथ जननांग विकृति जैसी दर्दभरी प्रथा को निभाना चाहूँगी या नहीं, जैसा मेरी माँ ने मेरे साथ मज़हब के नाम पर किया था। मैं 24 साल की हूँ, पत्रकारिता की पढ़ाई कर रही हूँ, एक ऐसे समुदाय की मुस्लिम लड़की हूँ जो आज भी अंधे होकर महिला जननांग विकृति (Female Genital Mutilation – FGM) की प्रथा को ढो रहे हैं। पूरी जिंदगी मेरा भरोसा था कि FGM मेरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, और कि जो भी पेशाब संबंधी दिक्कतें मुझे हो रही हैं उन सबका इससे कोई संबंध नहीं है। मुझे अहसास ही नहीं था कि मेरी सबसे बड़ी समस्या यह थी कि मेरा क्लिटोरिस सात साल की उम्र में काट दिया गया था। मुझे तो यह भी याद नहीं है कि यह कैसे हुआ था, या इसमें मुझे दर्द हुआ था या नहीं। और मुझे कभी सोचने का मौका नहीं मिला क्योंकि जब मेरी माँ ने कहा कि यह मेरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है तो मुझे उन पर भरोसा था। मैं उनको दोष नहीं देती हूँ लेकिन मैं प्रथा को दोषी मानती हूँ। बहुत से मुस्लिम फिरके इसे नहीं मानते हैं लेकिन मेरा समुदाय मानता है। पहली बार एफजीएम के बारे में मुझे तब पता चला जब मैंने लेखक अयान हिरसी अली की किताब पढ़ी। उसके बाद मैंने हिंदुस्तान टाइम्स में सहियो के बारे में पढ़ा था। मैं गहरे सदमे में थी और मैंने मेरी माँ को कॉल किया। शांत दिमाग से मैंने उनसे पूछा, “माँ, आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?” उन्होंने कहा, “बेटा क्योंकि यह यौन उत्तेजनाओं को नियंत्रित करेगा, तुम संभोग के लिए आतुर नहीं रहोगी और तुम्हारा कुँआरापन बना रहेगा।” मैंने सोचा, यह सब कुँआरेपन के लिए है! क्या इसीलिए मुझे समय-समय पर पेशाब संबंधी दिक्कतों से जूझना पड़ता है? किसी के साथ सोना है या नहीं यह मेरा मामला है, मेरी इच्छा है। यह मेरा दिमाग है जो इसका फैसला लेगा, मेरा क्लिटोरिस नहीं! मेरे पास अपनी माँ से कहने के लिए कुछ नहीं था, मैंने बस कहा “ठीक है” और कॉल को काट दिया। मुझे उनके ऊपर गुस्सा नहीं है, उन्होंने तो वह किया जो उनकी संस्कृति और मज़हब ने सिखाया था। हाँ, शारिरीक सम्बन्ध के दौरान मुझे दिक्कतें होती हैं। यह दर्दभरा है और यह समस्या भरा है। इस प्रथा से मेरी यौन उत्तेजना नहीं रूकी बल्कि इसने मेरे लिए शारीरिक संबंध को मुश्किल बना दिया। मैं एक पढ़ी-लिखी महिला हूँ और मैं FGM के खिलाफ खड़ी हो रही हूँ। लोगों को अहसास कराने के लिए कि यह गलत है, मैं हर मुमकिन कोशिश करूँगी। साथ खड़े होने और इस बारे में बात करने के लिए मैं सहियो को धन्यवाद देती हूँ। मुझे खुशी है कि इस बारे में बात करने को लेकर जो शर्म का माहौल था वो खत्म हो गया है और मैं एक FGM पीड़ित के रूप में अपना दुख साझा कर सकती हूँ। (इस पोस्ट का लेख मूल रूप से 23 फरवरी, 2017 को इस ब्लॉग पर छपा था: Wanderlustbeau)
मैंने अपनी मां से मेरा खतना नहीं करने की विनती की। उन्होंने मेरी बात सुनी

(This article was originally published in English on November 8, 2016. Read the English version here.) नाम: अज्ञात उम्र: 26 देश: संयुक्त राज्य अमेरिका शनिवार की स्कूल की क्लास में मैंने पहली बार इसके बारे में सुना। एक पुरुष शिक्षक उस शनिवार की सुबह हमारी क्लास में पढ़ा रहे ते, और विषय था खतना। उस 14 वर्ष की उम्र में, मुझे वास्तव में पता नहीं था कि इसका मतलब क्या है, लेकिन मुझे पता था कि इसमें कुछ ऐसा शामिल था जो यौन-शिक्षा से संबंधित था। मैं शर्मिंदगी भरी स्थिति में कमरे के दाईं ओर लड़कियों के साथ बैठी थी, और लड़के कमरे के बाईं ओर बैठे थे। शिक्षक ने पुरूष खतना के बारे में बोलना शुरू किया; कहा कि उसमें त्वचा को सर्जरी के द्वारा हटा दिया जाता है, स्वच्छता के लिए। उसके बाद उन्होंने महिला खतना के बारे में बताया; कि यह एक लड़की की यौन इच्छा पर अंकुश लगाने के लिए किया जाता था। लड़कियों को पवित्र, शांत और आज्ञाकारी बनाना था। छोटी लड़कियों का खतना करना उन्हें असंयमित होने से बचाने का एकमात्र तरीका था। यह उनके परिवारों को शर्मिंदा होने से रोकने का एकमात्र तरीका था। मुझे याद है कि वहां बैठकर मुझे पता नहीं था कि मेरे शिक्षक किस बारे में बात कर रहे हैं। मुझे यकीन था कि मैं कभी भी इस प्रक्रिया से नहीं गुज़री थी। मैं उस दिन उस कमरे में बैठी हुई बहुत असहज और अशांत महसूस कर रही थी। मुझे याद है कि उसी शनिवार को हम सहेलियां क्लास की एक बड़ी लड़की के घर रहने गए थे, जहाँ पर उस दिन क्लास में जो सुना था उस विषय पर बात होने लगी। मैं चुपचाप बैठी रही जब एक दूसरी लड़की ने समझाया कि यह प्रक्रिया लड़कियों पर क्यों की जाती है, कैसे यह हमें बेहतर मुसलमान और बेहतर बोहरा बनती है, क्योंकि खतना यह सुनिश्चित करता है कि हम में यौन इच्छाओं और विवाह पूर्व संभोग की चाह नहीं जगेगी। खतना ने हमें पवित्र किया था, हमें शुद्ध किया था। मैंने गौर से सुना जब अन्य लड़कियों ने अपनी खतना की कहानियों बताई। मुझे धोखा महसूस हो रहा था क्योंकि मुझे पता था कि मैं कभी भी इस “ज़रूरी प्रथा” से नहीं गुजरी थी। उस वक़्त मुझे इस ‘ज़रूरी प्रथा’ का सही मतलब नहीं पता था। मेरी समझ में सिर्फ यह आ रहा था कि मै उन लड़कियों के जैसी नहीं थी, कि मैं एक “बुरी लड़की” थी, कि मैं गंदी थी, और मैं सिर्फ एक अच्छी मुस्लिम होने का नाटक कर रही थी। मुझे याद है कि आखिरकार कुछ हफ्तों बाद मैंने अपनी माँ से इसके बारे में पूछने की हिम्मत जुटाई। उम्मीद भरी आवाज़ से मैंने उनको पूछा कि क्या मेरे साथ यह हुआ था, और बस मुझे याद नहीं था? उनका चेहरा बदल गया । उन्होंने अपना सिर हिलाया। जब हम भारत में थे तब उनको हमेशा मेरे मेरा खतना करवाना था, लेकिन कभी मौका नहीं मिला। मैंने उनको अपने दोस्तों से सुनी हुई कहानियाँ सुनाईं और उनसे पूछा, क्या वह मुझे इस प्रक्रिया को समझा सकती हैं, क्योंकि मुझे अपनी क्लास में इसे समझने में परेशानी हुई थी। उन्होंने मुझे खतना की प्रक्रिया समझाना शुरू किया; कैसे एक लड़की के भगशेफ या क्लाइटोरिस से त्वचा को हटाया जाता है, उसे पवित्र और शुद्ध बनाने के लिए। जैसे ही मैंने पूरी बात सुनी, मैं डरकर पीछे हट गई। उन्होंने मुझे कुछ मिनटों तक देखा, और फिर अधिकार के साथ कहा कि अगली बार जब हम भारत जाएंगे, तो वह मुझे मेरी चाची, जो एक डॉक्टर हैं, उनके पास ले जाएँगी जो मुझ पर खतना करवाएंगी। मैं उनके सामने अपने घुटनों के बल बैठ गई, उनसे भीख माँगते हुए कि मेरे साथ यह न करें, भीख माँगते हुए कि इस अकल्पनीय दर्दनाक प्रक्रिया से ना गुजरने दें। मैंने उनसे वादा किया कि मैं अच्छी रहूँगी, मैं स्वच्छ रहूँगी, मैं वह कुछ भी करूँगी जो वह चाहती थी अगर वह इस पूरी बात को भूल जाएँगी। उनहोंने सिर्फ इतना कहा कि “हम देखेंगे।” मुझे याद है बड़े होते हुए, मैं खतना के बारे में और अधिक शोध करती रही यह जानने के लिए कि आख़िर यह होता क्या है। एक बार मेरे चचेरे भाई ने बड़े जोश से बताया कि यह कितना गलत है। तब मुझे एहसास हुआ कि मेरी माँ ने मुझे कितने बड़े नुकसान से बचाया है। आज मैं खतना को बहुत अलग नज़र से देखती हूँ। कई युवा लड़कियों से उनका चुनने का अधिकार छीन लिया गया है। किसी ने उनसे नहीं पूछा कि क्या वे खतना कराना चाहते हैं। उनके परिवारों ने उनके अस्तित्व के एक हिस्से को चुराने का फ़ैसला कर लिया, इस बारे में कोई परवाह किए बिना कि इसका उन पर क्या असर होगा, और अक्सर अपनी अनमोल छोटी बच्चियों को अस्वच्छ और अनुभवहीन हाथों में देने का निर्णय लिया। मुझे याद है कि महीनों पहले एक बड़ी फेसबुक चर्चा खुलकर बाहर आई, जिसमें मेरे पहचान की एक बहुत ही मुखर लड़की ने खतना के खिलाफ आंदोलन करने वालों पर पर आरोप लगाया कि वे बोहरा समुदाय की “गंदगी” को पब्लिक में बाहर ला रहे थे। उस पल के पहले मैंने अपने समुदाय के किसी व्यक्ति पर इतनी शर्म महसूस नहीं की थी। यह प्रथा गलत है, और इसका गैर-रजामंदी वाला स्वरूप मेरे लिए इसे और भी दिल दहलाने वाला और निंदनीय बनाता है। जब आपका समुदाय कुछ ग़लत कर रहा है, और इसे पैगंबर (अल्लाह उनको शांति दे) द्वारा सिखाई गई एक धार्मिक प्रथा के रूप में बता रहा है, तब आप इससे छिपकर भाग नहीं सकते हैं। आपको बहस करने के लिए मुँह खोलना पड़ेगा और चर्चा करना होगा कि हम एक समुदाय के रूप में बेहतर कैसे बन सकते हैं। आपको चर्चा करना होगा कि हम अपने समुदाय की युवा लड़कियों और युवा महिलाओं की सुरक्षा कैसे कर सकते हैं। एक वैश्विक समुदाय होने के नाते हम इसे रोकने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। मेरी मां ने मुझे बचाया था। उन्होंने मेरे लिए अपने प्यार को सबसे पहले रखा, और आज उनकी वजह से मैं एक पूर्ण महिला हूँ। मैं उनकी सुरक्षा और मार्गदर्शन के
मेरी अनुमति के बिना मेरे सबसे गुप्त अंगों को काटा गया

(This article was originally published in English on November 5, 2016. Read the English version here.) उम्र: 64 देश: संयुक्त राज्य अमेरिका महिला जननांग विकृति या FGM के खिलाफ खड़े होने का समय आ गया है। यह लंबे समय से बाकी है। यह तब भी सही नहीं था जब मेरी माँ इससे गुज़री, यह तब भी सही नहीं था जब मैं इससे गुज़री और यह तब भी सही नहीं था जब मैंने अपनी बेटी के साथ यह होने दिया (मेरे माता-पिता के दबाव में)। जिस दिन भारत में मेरे साथ एफजीएम किया गया था, मुझे उस दिन की याद है। मैं लगभग छह या सात साल की थी। मेरे भाई, जो मुझसे उम्र में बड़ा था, उसको एक दोस्त के घर पर खेलने के लिए दूर भेज दिया गया था एक महिला, जिसे मैंने पहले कभी नहीं देखा था, वह आयी और मुझे मेरे माता-पिता के बेडरूम में ले जाया गया जहां एफजीएम किया गया था। मुझे लगता है कि उस घटना और उस दिन की असहज स्मृति को मैंने दबा दिया है – बस उस महिला और मुझे नीचे लिटाए रखने वाली मेरी माँ की तस्वीर को छोड़कर। मुझे याद नहीं है कि खतना के पीछे का कौनसा कारण मुझे बताया गया था। लेकिन मुझे याद है कि मेरी अनुमति के बिना मेरे शरीर के सबसे गुप्त अंग के साथ जो किया गया था, उससे मैं बहुत नाराज़ थी। यह मेरे जिस्म पर अतिक्रमण था। सबसे अधिक, मुझे इस बात पर नाराजगी है कि जिस व्यक्ति पर मैंने उस छोटी उम्र में जीवन में सबसे अधिक भरोसा किया था, उनहोंने मेरे साथ ऐसा होने दिया। हो सकता है, इसीलिए, मेरा एक हिस्सा है जो मेरी माँ को माफ नहीं कर सकता है और मुझे आश्चर्य है कि मेरी बेटी ने मुझे उसी काम को करने के लिए माफ कर दिया है। एफजीएम को सही दिखाने के लिए इसे धर्म के लिबास में ढका जा रहा है। पर जल्द ही साहियो जैसे संगठन इस क्रूर प्रथा को बंद कर देंगे। जब तक सैयदना एफजीएम की निंदा नहीं करते हैं, और अपनी बात अमल नहीं करते हैं, तब तक मुझे खुद को दाउदी बोहरा कहने में शर्म आएगी।
टैटू, महिला खतना और पाखंड

(This piece was originally published in English on November 25, 2016. Read the English version here.) अज़रा एदनवाला उम्र: 21 देश: अमेरिका / भारत कुछ समय पहले मैं साहियो नाम के एक संगठन से मुख्तलिफ हुई। उस समय तक मैंने अपने खतने के बारे में कभी सोचा नहीं था। सच कहु तो मुझे पता ही नहीं था की इसका मतलब क्या है। जब मैंने उन महिलाओं के लेखों को पढ़ा, जिनका खतना हुआ था, तब मुझे एहसास हुआ की इस भयानक परंपरा का एक शिकार मैं भी थी। मैंने तो बस इस याद को अंतर्मन में दबा दिया था, क्यूंकि मैं नहीं जानती थी की ये परंपरा कहाँ से आयी और इसका मतलब क्या है। मैं शायद 5 या 6 साल की थी। अपने परिवार के साथ छुट्टी पर थी। गुजरात में कोई इलाका था, जहाँ तक मुझे याद है। इसके अलावा और कुछ याद नहीं, सिवाय दर्द से भरे कुछ छितरे-बिटरे पलों की। मुझे एक गंदे से बाथरूम में ले जाया जाना याद है, साथ में एक पुरूष या एक महिला थीं, सफ़ेद कपड़ों में। मुझे कैंची याद है, और मुझे खून देखना याद है। मुझे रोना याद है। क्योंकि मेरे जननांगों पर एक पट्टी लगाई गई थी। मुझे याद नहीं है कि किसी ने मुझे बताया हो, कि मेरे साथ अभी यह सब क्या हुआ था या क्यों हुआ था। सब कुछ हमेशा की तरह चलता रहा, मानो कुछ घटा ही न हो। और मैंने भी उसे मान लिया, क्यूंकि मुझे यह पता ही नहीं था की मेरे शरीर के साथ क्या किया गया है। वैसे तो मेरे खतना ने न ही मेरे मन पे कोई गहरी छाप छोड़ी है, न ही मेरे जीवन जो किसी तरह बदला है। हालांकि जो चीज़ मुझे खुरेदती है वह यह है की आखिर ये शरीर मेरा है, और किसी को भी इसे बदलने का कोई भी अधिकार न तो कभी था, न है। खासकर वैसे हानिकारक बदलाव जो “जैसे चलता है, वैसे चलने दो” की सोच के साथ आएं। तीन साल पहले मैंने अपना पहला टैटू करवाया था। जब मेरे एक रिश्तेदार ने मेरे शरीर पर इस टैटू को देखा, तो उन्होंने कहा, “तुम मुस्लिम हो। और हमारा धर्म यह बताता है कि शरीर को ठीक उसी तरह अपनी कब्र में लौटना चाहिए, जैसा की वह माँ की कोक से निकला था। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो हमें अपने शरीर में कोई बदलाव नहीं करना चाहिए और इसे वैसे ही स्वीकार करना चाहिए जैसा की हमें अल्लाह ने दिया है। अगर ऐसा है, तो मेरे गुप्तांगों को क्यों काट दिया गया? यह कैसा पाखंड है? कोई भी धर्म सिर्फ अपने सुविधानुसार अपने नियम नहीं बना सकता। हमें यह समझना होगा की धर्म आखिर हमीं ने बनाया है, और हमें उन रीती-रिवाज़ो का पालन करना छोड़ना होगा जो परंपरा के नाम पर चलती आ रही है। हम एक आधुनिक समाज में रहते हैं, और जहां हम अभी हैं उस जगह पर हम इसलिए पहुँचे हैं क्योंकि हमने परिवर्तन को अपनाया। महिला जननांग खतना इस्लाम में एक महिला के आस्था को निर्धारित नहीं कर सकता है। मुझे यह प्रथा बड़ी छिछली लगती है, और मुझे नहीं लगता कि किसी को भी इस प्रथा का पालन करना चाहिए, विशेष रूप से छोटे बच्चों को, जिनको पता ही नहीं है कि उनके साथ क्या हो रहा है। हो सकता है की खतना का मुझपर ज़्यादा गहरा असर नहीं पड़ा है, लेकिन ऐसी बहुत सी महिलाएं है जिन पर असर हुआ है। प्रत्येक महिला को अपने शरीर पर अधिकार होना चाहिए क्योंकि ऐसे भगवन में विश्वास रखने का कोई मतलब नहीं है जो जाहिर तौर पर ऐसी भयानक और अमानवीय प्रथा का समर्थन करते हैं।
महिला जननांग विकृति के प्रति एक माँ का बहादुर फैसला

(यह लेख पहली बार 23 मई 2017 को अंग्रेजी में साहियो द्वारा प्रकाशित हुआ था. Read the English version here and the Gujarati translation here.) लेखक: अज्ञात उम्र: 30 देश: यूनाइटेड स्टेट्स खतना शब्द और इस प्रथा से मेरा पहली बार आमना-सामना तब हुआ जब मैं 15 साल की थी। मैं एओएल इंस्टैंट मैसेंजर पर एक दोस्त के साथ चैटिंग कर रही थी और उसने मुझे पूछा क्या मेरा कभी खतना हुआ था। उस समय तक, मैं इस प्रथा के बारे में या इस बात से पूरी तरह अनजान थी कि इसे मेरे बोहरा समुदाय में कम उम्र की लड़कियों पर किया जाता है। मुझे पता नहीं था कि मैं अपनी दोस्त को क्या जवाब दूँ। मैंने सोचा कि शायद मेरा खतना मेरे जन्म होने पर ही किया गया होगा, ठीक वैसे जैसे बच्चे के जन्म पर छट्ठी (नामकरण) या अक़ीका (बकरे की कुर्बानी) किया जाता है। मैंने फौरन ही अपनी माँ से खतना के बारे में पूछा और यह भी पूछा क्या उन्होंने मेरा कभी कराया था या नहीं। उनका जवाब था, “नहीं बेटी, मैंने तुम्हारा नहीं होने दिया था।” और अधिक फुसफुसाहट और काफी घबराई हुई आवाज़ में उनहोंने कहा, “लेकिन किसी को बताना नहीं।” मैंने उनका पीछा किया, मैं उनसे पूछ रही थी आखिर यह होता क्या है। मेरी माँ को यह समझाने में मुश्किल हुई कि यह क्या है या यह क्यों किया जाता है। वह कह पाईं कि लड़कियों के “गुप्तांग” में काटा जाता है। उन्होंने आगे कहा कि हाँ, सात साल की उम्र में वह इससे गुजर चुकी थी, लेकिन उनहोंने अपनी बेटियों के साथ ऐसा नहीं होने दिया, क्योंकि उनके खतना ने उनको भयानक शारीरिक और भावनात्मक दर्द दिया था और वो दर्द उनके साथ जीवन भर रहा है। उस समय, मैं इस बात की अहमियत नहीं समझ पाई कि क्यों मेरी माँ ने मेरे और मेरी बहनों पर खतना नहीं करवाने का फैसला लिया और क्यों वह चाहती थी कि इसके बारे में मैं किसी से कुछ न कहूँ। खतना के बारे में प्राथमिक जानकारी लेने के कुछ वर्षों बाद, मैं मेरी स्थानीय मस्जिद में औरतों की मीटिंग में थी। किसी ने हमारी मौलवी की बीबी, जिनको बहनसाब कहते हैं, उनसे खतना के बारे में पूछा। बहनसाब ने जवाब़ दिया कि यह औरतों में यौन आनंद को बढ़ाने के लिए किया जाता था और यह समुदाय की सभी औरतों के लिए जरूरी है। मैंने अपनी माँ से कुछ साल पहले इससे ठीक उल्टी बात सुनी थी, और बहनसाब की बातें मुझे चक्कर में डाल रही थीं। हाँ, जब बहनसाब ने कहा कि यह प्रथा सब औरतों के लिए जरूरी थी, तब मुझे समझ में आया की क्यों मेरी माँ ने मुझे किसी को यह बताने से मना किया था कि मेरा खतना नहीं हुआ है। मेरी माँ को डर था समुदाय के आदेश के खिलाफ जाने पर उनके या उनके परिवार के साथ बुरा हो सकता था, और इसीलिए, उनहोंने अपना प्रगतिशील फैसला सब से छुपा के रखा। आज, एक व्यस्क महिला के रूप में मैं खतना के शारीरिक और भावनात्मक नुक्सान को समझ सकती हूँ, और मैं अपनी माँ के फैसले की सराहना करती हूँ। मैं सोच भी नहीं सकती हूँ जिन महिलाओं के साथ यह हुआ उनको अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में क्या झेलना पड़ता होगा। मुझे लगातार डर लगता है कि यह प्रथा अभी भी जारी है (हालाँकि यह अधिकतर गुप्त है) और “परंपरा” के अलावा अधिकतर लोगों के पास कोई वाजिब मेडिकल कारण नहीं हैं इसे जारी रखने के लिए। मुझे उम्मीद है कि जैसे-जैसे लोग इस प्रथा और इससे जुड़े नुक्सान के बारे में जानते जाएँगे, समुदाय के भीतरसे परंपरा के नाम पर छोटी बच्चियों के अंग की विकृति की इस नुक्सानदायक प्रथा को रोकने की कोशिशें बढ़ती जाएँगी।